आज महिलाएं हर जगह हर क्षेत्र में अव्वल स्थान पर है चाहे वो घर का काम हो या बाहर का काम वह दोनों चीजों में सामंजस्य बैठा के आगे बढ़ रही है और हर चीज़ को अच्छे से संभाल रही है। वह पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ उन्होंने अपना नाम रोशन न किया हो। बात की जाए कृषि क्षेत्र की,कृषि क्षेत्र में जितना योगदान पुरुषों का है उतना ही योगदान महिलाओं का भी है। भारत की लगभग 70 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है जिनके आय का जरिया खेती से ही निकलता है। घरेलू कार्य के साथ साथ वह खेत का सारा कार्य अच्छे से संभालती है। अनेक कार्य जैसे पौधों को रोपना, बीज लगाना फसलों की कटाई आदि कामों में वह निपुण हैं साथ ही साथ अन्य कार्य जैसे पशुपालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन आदि को भी वे बड़ी बखूबी से निभाती हैं अन्य कार्य जैसे दूध घी एवं दही बनाना, आचार एवं चटनी ,पापड़ आदि बनाने से वह आमदनी अंकित कमाती हैं और घर संभालती हैं।
आज के
समय में वह नई तकनीकों को सीखकर अच्छा पैसा और काम दोनों कमा रही हैं और अपना
योगदान कृषि में बखूबी दे रही है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं के योगदान से आर्थिक स्थिती में काफी सुधार
हुआ है। महिलाओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए और उन्हें कृषि क्षेत्र में एक सम्मान
देने के लिए "15 अक्टूबर" के दिन को "राष्ट्रीय महिला किसान दिवस" के
रूप में मनाया जाता है। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक भारतीय कृषि में
महिलाओं का योगदान 30 फीसदी से ज्यादा है और कुछ राज्यों में महिलाओं की भागीदारी
कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुरुषों से भी ज्यादा है, देश के 48 प्रतिशत से ज्यादा कृषि संबंधी कार्यों में
जुटी हुई है।
महिलाओं
के योगदान से कृषि क्षेत्र में अव्वल गति से तेजी आ रही है और हम सब उन्हें मिलकर
प्रोत्साहित करें उनका साथ दें तो यह देश के विकास के लिए एक कारगर कदम साबित होगा।
सफलताओं की कहानी:-
- निमीषा नटराजन - निमीषा नटराजन कृषि विज्ञान से संबंध रखती है एवं महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को न सिर्फ आगे बढ़ना सिखाया बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी सीखा रहीं हैं, निशा महिलाओं को छोटे छोटे कुटीर उद्योग में पारंगत कर उन्हें समाज में एक स्थान देने में सहायता कर रही है।
- रिप्पी कुमारी - रिप्पी कुमारी राजस्थान के प्रेमपुर गांव की रहने वाली है। उन्होंने बेहद ही कम उम्र में अपने परिवार की सारी जिम्मेदारियां संभाल ली और अपने पिताजी का कृषि का सपना पूरा किया। पिता के गुजर जाने के बाद रिप्पी ने हिम्मत नहीं हारी उन्होंने खेती के जरिए अपनी आर्थिक स्थिती में बदलाव किया। शुरुआत में उनकी की रुचि खेती में नहीं थी पर वे अपने पिता जी के अधूरे सपनों को पूरा करना चाहती थीं इसलिए उन्होंने आई.टी. सेक्टर की पढ़ाई को छोड़कर कृषि में आने का फैसला लिया। खेती का सारा ज्ञान उनके पिताजी द्वारा लिखी गई डायरी से मिला वहीं से उन्होंने कृषि से संबंधित ज्ञान लिया और कृषि क्षेत्र में सफल हुई और देखते ही देखते बरसों के तजुर्बे और खेती के प्रति लगन से रिप्पी आज सफल किसान बन चुकी है और किसानों के लिए विशेष सलाहकार।
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